सनातन ज्ञानकोष
- Shwetanshu Ranjan
- Dec 17, 2022
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"आयुषः क्षण एकोऽपि सर्वरत्नैर्न न लभ्यते।
नीयते स वृथा येन प्रमादः सुमहानहो॥"

अर्थात - "सभी कीमती रत्नों से कीमती जीवन है जिसका एक क्षण भी वापस नहीं पाया जा सकता है । अतः इसे व्यर्थ के कार्यों में खर्च करना बहुत बड़ी गलती है ।"
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