top of page
Search

सनातन ज्ञानकोष

"सुसूक्ष्मेणापि रंध्रेण प्रविश्याभ्यंतरं रिपु:।

नाशयेत् च शनै: पश्चात् प्लवं सलिलपूरवत्।"


अर्थात - "नाव में जल पतले छेद से भीतर आने लगता है और भर कर उसे डूबा देता है, उसी तरह शत्रु को घुसने का छोटा मार्ग या कोई भेद मिल जाए तो उसी से भीतर आ कर वह कबाड़ कर ही देता है।"

 
 
 

Recent Posts

See All
ॐ हनुमते नमः

श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये श्री हनुमान जन्मोत्सव की सभी श्रद्धालुओं एवं देश वासियों को मंगलमय शुभकामनाएं! प्रभु श्री राम के परम भक्त,...

 
 
 

Σχόλια


CALL US 7042088704

Find Us 

@trusthindu on Twitter

© 2023 by Sanatan Hindu

bottom of page