सनातन ज्ञानकोष
- Shwetanshu Ranjan
- Nov 12, 2022
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"कस्यात्यन्तं सुखमुपनतं दु:खमेकान्ततो वा ।
नीचैर्गच्छत्युपरि च दशा चक्रनेमिक्रमेण ।।"

अर्थात - "किसने केवल सुख ही देखा है और किसने केवल दुःख ही देखा है, जीवन की दशा तो एक गतिमान चक्र (पहिए) के घेरे के समान है जो क्रम से ऊपर और नीचे जाता रहता है।"
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