सनातन ज्ञानकोष
- Shwetanshu Ranjan
- Mar 19, 2023
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"प्रभूतं कार्यमपि वा तत्परः प्रकर्तुमिच्छति । सर्वारम्भेण तत्कार्यं सिंहादेकं प्रचक्षते ॥"

अर्थात - "जो भी कार्य करना चाहिए, उसमें एक सिंह की भांति अपनी पूरी शक्ति लगा देनी चाहिए। सिंह किसी शिकार में असफल होने पर भी निराश नहीं होता और अगले शिकार हेतु भी पूर्ण उर्जा लगा देता है।"
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