सनातन ज्ञानकोषShwetanshu RanjanJan 22, 20231 min read"यद्यदेव प्रसक्तं हि वितर्कयति मानवः ।अभ्यासात्तेन तेनास्य नतिर्भवति चेतसः।।"अर्थात - "मनुष्य जिस-जिस वस्तु का लगातार चिंतन करता है, अभ्यासवश उसी की ओर उसके मन का झुकाव होता जाता है ।"
ॐ हनुमते नमःश्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये श्री हनुमान जन्मोत्सव की सभी श्रद्धालुओं एवं देश वासियों को मंगलमय शुभकामनाएं! प्रभु श्री राम के परम भक्त,...
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