top of page
Search

सनातन ज्ञान

"सुखाय दुःखाय च नैव देवाः न चापि कालः सुह्र्दोडरयो वा ।

भवेत्परं मानसमेव जन्तोः संसारचक्रभ्रमणैकहेतुः ॥"

अर्थात - "देव सुख या दुःख नहीं देते, काल भी मित्र या शत्रु नहीं है, वास्तव में मानव का मन ही वह कारण है जो संसार के चक्र में भ्रमण कराता रहता है ।"

 
 
 

Recent Posts

See All
ॐ हनुमते नमः

श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये श्री हनुमान जन्मोत्सव की सभी श्रद्धालुओं एवं देश वासियों को मंगलमय शुभकामनाएं! प्रभु श्री राम के परम भक्त,...

 
 
 

Comments


CALL US 7042088704

Find Us 

@trusthindu on Twitter

© 2023 by Sanatan Hindu

bottom of page